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Sunday, October 21, 2018

Koyal poem in Hindi कोयल पर कविता

Koyal poem in Hindi कोयल पर कविता

Koyal poem in Hindi कोयल पर कविता

Koyal poem in Hindi



देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली
इसने ही तो कूक -कूक कर
आमों में मिश्री घोली।

कोयल -कोयल सब बतलाना
क्या संदेश लायी हो
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आई हो
क्या गाती हो किसे बुलाती
बतला दो कोयल रानी।

प्यासी धरती देख मांगती
हो क्या तुम मेघों से पानी
कोयल यह मिठास क्या तुमने
अपनी मां से पायी है ?

मां ने ही क्या तुमको मीठी बोली
सिखलाई है ?

डाल -डाल पर उड़ना - गाना
जिसने तुम्हे सिखाया है
सबसे मीठे -मीठे बोली
वह भी तुम्हे बताया है।

बहुत भली हो तुमने मां की
बात सदा ही है मानी।
इसीलिए तो तुम कहलाती हो
सब चिड़ियों की रानी।

सुभद्रा कुमारी चौहान

Monday, July 23, 2018

Poem on Umbrella in Hindi छतरी पर निबंध

Poem on Umbrella in Hindi छतरी पर निबंध

Poem on Umbrella in Hindi छतरी पर निबंध

Poem on Umbrella in Hindi


मेरा छाता
पीले रंग का मेरा छाता
वर्षा से मुझे बचाता।
कड़ी धूप जा रिमझिम पानी
दोनों में साथ निभाता।

पीले छाते की है साथी ,
मेरी यह काली बरसाती।
खुद पानी से तर हो जाती,
लेकिन मुझको सदा है बचाती।

इनके साथ मजा जीने का,
बारिश की बूंदे पीने का।
अच्छा लगता मुझको भाता,
पीले रंग का मेरा छाता।

Saturday, June 16, 2018

 Poem on Sparrow in Hindi - गौरया पर कविता

Poem on Sparrow in Hindi - गौरया पर कविता


Poem on Sparrow in Hindi



Poem on Sparrow in Hindi

कीर्ति श्रीवास्तव सुमन सागर
हुई भोर तुम आ जाओ गौरया

कानों में रस घोल जाओ गौरया
अब तुम कभी कहीं न जाओ

घर मेरा चहकाओ गौरया
तुम हो एक छोटी सी चिड़िया

पर हो नील गगन की गुड़िया
तितली सी चंचलता तुम में

भवरों का गुंजन है तुम में
मधुर तान में तुम भी गाओ

घर मेरा गुनगुनाओ गौरया
हरे भरे पेड़ हैं तुमको भाते

पतझड़ हैं तुमको रुलाते
फूलों को भी तुम करती प्यार

न्यौछावर करती अपना दुलार
मेरे घर का कोना अपनाओ
घर मेरा सजाओ गौरया। लेखक - सुमन सागर

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"Poem on Sparrow in Hindi"

आंगन उदास है

घौंसला वीरान है

पतझड़ का मौसम

पत्तों की झनझनाहट



बसंत की आहट

रंग -बिरंगे फूलों की मुस्कराहट

पर फिर भी गौरया का न आना



अखरता है विकास की अंधेरी

कंक्रीट निर्मित महल

आसमान को छूते मोबाइल टावर

निगल गए नन्ही गौरया को

नाश  .. सर्वनाश

यह कैसा विकास ?



सुबह भी है उदास

और सांझ  भी है निराश

इन्तजार है नन्ही गौरया का

आंगन में आ  ...



अपनी चीं - चीं की

मधुर आवाज़ से जगा

जिससे उदास आंगन।

वीरान घौंसले में

फिर से बहार लौट आए। .. लेखक - वीरेंद्र शर्मा

आम पर कविता Mango poem in Hindi

आम पर कविता Mango poem in Hindi


Mango poem in Hindi



Mango poem in Hindi

सुनकर कोयल की पुकार
आ गया आमों का त्योहार
आम खाने को हो जाओ तैयार
मीठे -खट्टे आम आ गए बाजार।

दशहरी, लंगड़ा, सफेदा , तोतापरी
बच्चों ! कौन सा आम खाओगे ?
खाकर मन ही मन मुस्कराओगे
क्या फिर मधुर गीत गाओगे।

मनाओ तुम आमों का त्योहार
तुम्हार दोस्त भी हैं आसपास
करो तुम कोई बात ख़ास
मिले सबको आमों की सौगात।

पढ़ाई कर खेलो तुम दिन -रत
आयी है यहां आमों की बारात
ले लो जो तुम्हे आये रास
हमेशा तुम करो अच्छी सी बात।


वीरेंद्र शर्मा


आम पर कविता : Aam par Kavita



हर कोई देख इसे ललचाये

फिर खाये बिना रहा ना जाए


पीला हरा रंगीला आम

होता बड़ा रसीला आम


गर्मी की ऋतू आई खट्टे मीठे उपहार लायी

गर्मी के मौसम में ये आता


Hindi Poem on Mango for Kids


आम फलों का राजा कहलाता

खट्टा मीठा आम तो सबको है भाता


यह है पौष्टिक तत्वों से भरपूर

यो आपको रखता है बीमारियों से दूर

आम प्यारे प्यारे रंगों में हे आता


अपने स्वाद के कारण सब फलों

का ये राजा है कहलाता


आम गर्मी के मौसम में आता है

बच्चे बूढ़े बड़े प्यार से इसे

जमकर हैं खाते


आम का अब समय आया

इन रसीले आम खाने को जी ललचाया है



Garmi Poem in Hindi, Garmi par Kavita

Garmi Poem in Hindi, Garmi par Kavita



Garmi Poem in Hindi


Summer poem in Hindi

गर्मी आयी देखो गर्मी आयी
ढेरों खुशियां साथ में लायी
ठंडे पानी में नहाएंगे
आइस क्रीम खूब खाएंगे

आम लीली और तरबूज को
टिफिन का हिस्सा बनाएंगे
नींबू पानी और शरबतों का
भरपूर आनंद उठाएंगे

जैसे मज़ा लिया सर्दी का
गर्मी को भी गले लगाएंगे
गर्मी दूर भगाएंगे। लेखक - रमिंद्र कौर