Koyal poem in Hindi कोयल पर कविता
देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली
इसने ही तो कूक -कूक कर
आमों में मिश्री घोली।
कोयल -कोयल सब बतलाना
क्या संदेश लायी हो
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आई हो
क्या गाती हो किसे बुलाती
बतला दो कोयल रानी।
प्यासी धरती देख मांगती
हो क्या तुम मेघों से पानी
कोयल यह मिठास क्या तुमने
अपनी मां से पायी है ?
मां ने ही क्या तुमको मीठी बोली
सिखलाई है ?
डाल -डाल पर उड़ना - गाना
जिसने तुम्हे सिखाया है
सबसे मीठे -मीठे बोली
वह भी तुम्हे बताया है।
बहुत भली हो तुमने मां की
बात सदा ही है मानी।
इसीलिए तो तुम कहलाती हो
सब चिड़ियों की रानी।
सुभद्रा कुमारी चौहान
0 comments: