Information about Eagle in Hindi
- बाज एक ऐसा पक्षी है जो अपनी उड़ान और नज़र के लिए जाना जाता है। बाज आकाश में बहुत उंचा उड़ता है दुसरे पक्षियों से कहीं ज्यादा उंचा।
- बाज की नज़र बहुत तेज़ होती है यह अपने शिकार को 5 किलोमीटर की दूरी पर भी देख लेता है।
- बाज अपनी तेज़ नजर से रुकावटों की परवाह ना करते हुए एक ही झपटे में अपने शिकार को पंजे में ले उड़ता है।
- बाज़ (Eagle) किसी दुसरे जानवर के द्वारा किये हुए शिकार को नहीं खाता बल्कि यह अपने भोजन के लिए खुद शिकार करता है।
- गिद्ध् जैसे जानवर ही मरे हुए जीवों पर जीते हैं ना के बाज़।
- बाज़ (Eagle) जब अपनी उड़ान भरते हैं तो यह बादलों से भी उपर चले जाते हैं।
- मादा बाज़ 1 से लेकर 3 अंडे देती है और लगभग बाज़ 34 से 36 दिनों तक अण्डों पर बैठती है जिसके बाद अण्डों में से बच्चे बाहर निकल आते हैं।
- बाज़ लगभग 70 वर्षों तक जीवित रहता है।
- बाज़ पक्षी गरुड़ पक्षी से छोटा होता है और बाज़ की बहुत सारी प्रजातियां पायी जाती हैं जिन्हें अलग -अलग नामों से जाना जाता है।
- बाज़ के पंख पतले तथा मुड़े होते हैं जो इसे तेज़ उड़ने और दिशा बदलने में मदद करते हैं।
Essay on Eagle in Hindi
- यह अपने ज्यादातर घोंसले पेड़ों जा चटानों पर बनाते हैं परन्तु बाज़ ज्यादातर दुसरे पक्षियों के घोंसलों पर आक्रमण कर उनमे रहते हैं।
- दुनियाभर में बाज़ की 40 से भी अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं।
- बाज़ का मुख्य भोजन चूहे , मेंढक , मछली आदि होता है।
- 40 वर्षों की उम्र के बाद बाज़ का शरीर कमज़ोर पड़ने लगता है पंजे लम्बे और लचीले हो जाते हैं जिस कारण बाज़ शिकार पर पकड़ नहीं बना पाता और चोंच भी आगे की तरफ मुड़ जाती है उसके पंख भी पहले से भारी हो जाते हैं जिस कारण वह अधिक उंचाई पर नहीं उड़ पाता। जिस वजय से परिस्थितियां उसके विपरीत हो जाती हैं उसे शिकार करने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
- इसके तहत उसे किसी एक विकल्प को चुनना पड़ता है जा गिद्ध की तरह दूसरों के किये गए शिकार को खाकर जिए जा फिर आकाश में उपर उड़ने के लिए कष्टदायक हालातों के लिए तैयार हो जाए।
- बाज़ सबसे पहले उंची चटानों पर जाकर अपनी चोंच को चटान पर घिसा -घिसा कर उसे तोड़ देता है इसके बाद वो अपने पंजों को तोड़ता है इसके बाद वह अपने पंखों को एक -एक कर नोच डालता है हालांकि इन सब में उसे बहुत ज्यादा पीड़ादायक स्थितियों में से होकर गुजरना पड़ता है पर तब भी वो इसे पूरा करता है।
- इस में बाज़ को लगभग 5 महीनों का कष्ट सहना पड़ता है परन्तु इसके बाद वहीँ बूढ़ा बाज़ एक नये रूप में जन्म लेता है अब उसमें पहली वाली उड़ान और शिकार को पकड़ने की क्षमता आ जाती है। जिस कारण वो पहले की तरह ही आसमान में उंची उड़ान के साथ शिकार करना शुरू कर देता है।
- बाज़ आसमान में 210 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है।
- बाज़ आकाश में 12000 फीट की उंचाई तक उड़ान भर सकता है।
- ज्यादातर आदिवासी लोग छोटे -छोटे पक्षियों के शिकार के लिए बाज़ का सहारा लेते हैं वह बाज़ के पैर को रस्सी से बांधकर रखते हैं छोटे शिकार को देखते ही वह बाज़ को आकाश में छोड़ देते हैं और बाज़ पलभर में ही उसे नीचे गिरा देता है। इसके बाद आदिवासी घायल पक्षी को पकड़ लेते हैं। इसके लिए बाज़ को ख़ास ट्रेनिंग दी जाती है।
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