Essay on crow in Hindi | कौआ पर निबंध
कौवा डेढ़ फुट का काले व स्लेटी रंग का एक पक्षी होता है। इसकी गर्दन सलेटी रंग की होती है जब के शरीर काले रंग का होता है। जंगल में इनकी औसतन आयु 15 से 20 वर्षों तक होती है जब के घरेलू कौवे की औसतन आयु 20 से 25 वर्ष तक हो सकती है।इनकी उड़ान सीधी दिशा में होती है। इस पक्षी को लालची प्रवृत्ति का पक्षी माना गया है यह ज्यादातर फल और मांस या फिर अनाज खाता है। इसके अलावा जे कीड़े मकोड़े , मछली तथा मेंढक को भी चट कर जाता है। यह पक्षी पूरी दुनिया में पाया जाता है।
कौआ की आवाज़ - कौवा की वाणी थोड़ी कठोर होती है जिनकी आवाज असहनीय सी लगती है। कौए सुबह होते ही ऊंची ऊंची आवाज में शोर मचाना शुरू कर देते हैं। कौए को कबूतर , तोता या फिर मोर की तरह पालतू नहीं बनाया जाता क्योंकि यह एक बदसूरत पक्षी समझा जाता है। इसके अलावा इस पक्षी को लेकर लोगों के दिमाग में बहुत सारे अंधविश्वास भी बने हुए हैं।
किसानों का अच्छा मित्र : कौआ को किसानों का सबसे अच्छा मित्र माना जाता है क्योंकि जे फसलों में मौजूद खतरनाक कीट पतंगों को खा जाते हैं जो फसल को बर्बाद करते हैं। इनकी याददाश्त बहुत तेज मानी जाती है यदि जे किसी चेहरे को एक बार देख ले तो वह कई सालों तक उसे नहीं भूलते। यह ऐसे जानवर हैं जो दोनों पति पत्नी में मिलकर अपने बच्चों का ख्याल रखते हैं।
प्रजातियां : कौआ भारत के इलावा अन्य देशों में भी पाया जाता है। जहां इनकी अनेक प्रजातियां है। यह पक्षी ज्यादातर वृक्षों पर अपना बसेरा बनाता है एक पेड़ पर इन्हें 8 से 10 की संख्या में दे रखा जा सकता है। किंतु आज इनकी संख्या कहीं-कहीं ही देखने को मिलती है।
भोजन की तलाश : कौवा हमेशा भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है। घरेलू कौवा फल सब्जियों और अनाज की तलाश में निकलता है जब के जंगलों में रहने वाला कौआ ज्यादातर मांसाहारी ही होता है जिस कारण वह छोटी पक्षियों की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है। इनके 2 पंजे काफी मजबूत होते हैं जो इन्हें पेड़ों पर पकड़ बनाने में मदद करते हैं। इसकी एक लंबी और तेज चोंच होती है।
कौवा की आयु : एक सामान्य कौए की आयु 12 से लेकर 15 वर्षों तक का हो सकती है। इसके अलावा इसकी कुछ प्रजातियां 15 से 20 वर्ष तक भी जिन्दा रहती है। कुछ लोग कौवे की कांए - कांए को अशुभ मानते हैं। ऐसा करने पर इसे वहां से भगा देते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जब यह ऊंची ऊंची चिल्लाने लगे तो किसी मेहमान के आने का शुभ संकेत होता है। इसीलिए इस पक्षी को लेकर कई शुभ और अशुभ बहम बने हुए हैं। इसके अलावा श्राद्ध पर्व पर पक्षी को पूजा जाता है। इसे विधि-विधान अनुसार खाना खिलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कौवा को खाना खिलाने से हमारे पितर खुश हो जाते हैं।
क्यलीनर पक्षी : कौआ पक्षी गंदगी को साफ करता है क्योंकि यह गंदगी में भी अपना भोजन ढूंढ लेता है जिसके साथ हमारा वातावरण भी शुद्ध बना रहता है इसी कारण इसे क्लीनर पक्षी के नाम से भी जाना जाता है। यह मनुष्य द्वारा बाहर फेंके गए फालतू के भोजन को चट कर जाता है।
कौआ का अस्तित्व : आज के आधुनिक युग में इस पक्षी का अस्तित्व लगभग खतरे में मंडरा रहा है कुछ वर्षों के पश्चात हम इस पक्षी को गूगल जा फिर किताबों के पन्नों में ही देख पाएंगे। और इस कहावत को भी हम नहीं बोल पाएंगे - झूठ बोले कौआ काटे। पक्षियों को बचाना हमारा कर्तव्य बनता है यदि समय रहते उनके लिए कोई खास उचित प्रबंध नहीं किया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में ही पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी इसीलिए समय रहते ही हमें उनके लिए कुछ करने की जरूरत है।
हमारा फर्ज़ : इसीलिए पक्षियों को बचाने में अपना योगदान अवश्य दें। क्योंकि यदि समय रहते हुए नहीं संभले तो भविष्य में हमारे बच्चे सिर्फ इन पक्षियों को फ़िल्मों या फिर तस्वीरों में ही देख पाएंगे। आप इन पक्षियों के लिए अपनी छत पर दाना और पानी का इंतजाम कर सकते हैं इसके अलावा बाजार में इन के लिए घर भी बने बनाए आते हैं जिन्हें आप किसी ऊंचे पेड़ पर या अपने घरों में किसी सुरक्षित जगह पर जहां यह पक्षी आसानी से आ जा सकें वहां इन घोंसलों को टांग सकते हैं। - जय हिंद
Essay on Crow in Hindi - 2
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चतुर पक्षी : कौवा चतुर पक्षियों की श्रेणी में आने वाला पक्षी है यह बड़ा ही चालाक किसम का पक्षी होता है क्योंकि इसे चीज़ों को चुराने में माहिर माना जाता है अक्सर आपने सुना होगा कि पुराने समय में जब कौवों की संख्या बहुत अधिक होती थी तो वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते थे और वह कभी-कभी तो बच्चों की थाली से रोटी को उठाकर ले उड़ते थे।
शरीरक सरंचना : कौवा दिखने में तो एक काले रंग का पक्षी होता है किंतु इनका मस्तिष्क काफी ज्यादा बुद्धिमान होता है, कौए संसार भर के सभी प्रांतों में देखने को मिल जाते हैं इसका रंग काले रंग का होता है और उसकी गर्दन स्लेटी रंग की होती है इसकी दो चमकीली काली रंग की आंखें होती है
कठोर आवाज़ : कौवा की आवाज काफी कठोर मानी जाती है यानि की कर्कश भरी होती है इसलिए ज्यादातर लोगों को इसकी आवाज से नफरत होती है यह पक्षी को आमतौर पर झुंड में रहना ज्यादा पसंद करता है इसलिए अक्सर इन्हें झुंड में ही उड़ते हुए देखा जा सकता है।
जीवनकाल : एक कौवे का जीवनकाल जंगलों में 6 वर्षों से लेकर 8 वर्षों तक ही होता है यानी कि जो भी गांव में पाए जाते हैं उनका जीवनकाल इससे कहीं ज्यादा होता है संसार भर में इस पक्षी की बहुत सारी प्रजातियां भी पाई जाती है जो अपने रंग व्यवहार में एक दूसरे से अलग होती है इनमें से कई प्रजातियों का जीवनकाल 10 वर्षों से भी अधिक होता है।
कौवा एक ऐसा पक्षी है जो हमारे वातावरण में फैली हुई गंदगी को साफ कर देता है यह गंदगी में से अपना भोजन निकाल कर खा जाता है। यह मानव द्वारा फैलाया गया कूड़ा करकट में से सब्जी, मांस, कीड़े मकोड़े, मिठाई इत्यादि ढूंढ कर खा जाता है।
पैर के पंजे : कौवे के पंजे बड़े ही मजबूत और नुकीले होते हैं जो किसी वस्तु को पकड़ने के लिए अपने पंजों का प्रयोग करता है इसका शरीर बड़ा जबकि मुंह छोटा होता है और इसकी एक लंबी मजबूत चोंच होती है।
इस पक्षी के पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल होते हैं जिनकी मदद से यह गर्मी के मौसम और सर्दी के मौसम में खुद को बचाई रखता है इसके दो बड़े-बड़े मजबूत पंख होते हैं जिनकी मदद से यह आकाश में ऊंची उड़ान उड़ सकता है।
घोंसला : कौवा जंगल में अपना घोंसला बनाने के लिए ऊंची ऊंची चट्टानों की मदद लेता है उसमें जो घास फूस की मदद से अपना घोंसला बनाता है जबकि शहरों में या गांव में रहने वाले कौवे आमतौर पर पेड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं।
कौवा पर निबंध (200 words)
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कौआ एक साधारण सा उड़ने वाला पक्षी है जो पूरी दुनिया भर में पाया जाता है आसमान में उड़ने वाले पक्षियों में यह पक्षी सबसे बुद्धिमान समझा जाता है।
इस पक्षी का रंग आमतौर पर काले रंग का होता है जबकि इसकी गर्दन का रंग सलेटी होता है और इस पक्षी की चोंच भी काफी मजबूत होती है जिसकी मदद से यह शिकार करता है या फिर किसी चीज को उठाता है सख्त से सख्त चीज को भी सरलता से तोड़ सकता है।
कौवे की आवाज कठोर होती है जो हर किसी को पसंद नहीं होती यह पक्षी एक ऐसा पक्षी है जो हमारे पर्यावरण को साफ रखने में हमारी बहुत मदद करता है जिस कारण इसे क्लीनर पक्षी का नाम भी दिया गया है।
यह पक्षी आमतौर पर झुंड में पाया जाता है यह कबूतर पक्षी भी होता है हिंदू धर्म के मुताबिक का श्राद्ध के महीने में कौवा का विशेष महत्व होता है।
कौवे पक्षी होता है जो के रोटी के अलावा कीड़े मकोड़ों को भी चट कर जाता है जो कौवे जंगल में पाए जाते हैं वह कीड़े मकोड़े खाकर अपना पेट भरते हैं।
14 Lines on Crow in Hindi
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- कौवा एक चतुर पक्षी है
- कौवे का रंग काला और उसकी गर्दन का रंग स्लेटी होता है
- इस पक्षी की आंखें काली और चमकीली होती है
- इसकी आवाज काफी तीखी और कर्कश भरी होती है
- कौवा दूसरे पक्षियों की तुलना में ज्यादा चालाक होता है
- यह पक्षी संसार के सभी देशों में पाया जाता है
- इस पक्षी को अक्सर झुंड में उड़ते हुए देखा जा सकता है
- इसका जीवनकाल 6 वर्षों से लेकर 8 वर्षों तक होता है
- किंतु इसकी कुछ प्रजातियों का जीवनकाल 10 से 12 वर्षों का भी होता है
- कौवा एक ऐसा पक्षी है जो कि हर तरह के वातावरण में रह सकता है इसे जहां भी भोजन मिलता है यह वही चला जाता है
- राजस्थान में इसे कागला भी कहा जाता है
- संसार भर में कौवे की लगभग 40 प्रजातियां पाई जाती है
- कौवा चट्टानों और पेड़ों पर अपना घोंसला बनाकर रहता है छोटे-छोटे तिनकों से यह अपना घोंसला बनाता है
- कौवा अक्सर कांव-कांव की आवाज निकालता रहता है
Sir has written his very good essay. It helped me a lot
ReplyDeleteआपने अपनी जानकारी को बहुत ही उम्दा तरीके से विस्तृत किया है, आपके द्वारा दी गयी जानकारी मुझे बहुत अच्छी तरह से समझ में आये इसके लिए आपका धन्यवाद
ReplyDeleteHindiVidhya
sir apne bahut hi achhi trh se smjhaya hai is essay ko thank you sir aap bahut hi achha article likhte ho aasha hai age bhi aise hi atrticle likhte rho
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