Poem on Sparrow in Hindi
कीर्ति श्रीवास्तव सुमन सागर
हुई भोर तुम आ जाओ गौरया
कानों में रस घोल जाओ गौरया
अब तुम कभी कहीं न जाओ
घर मेरा चहकाओ गौरया
तुम हो एक छोटी सी चिड़िया
पर हो नील गगन की गुड़िया
तितली सी चंचलता तुम में
भवरों का गुंजन है तुम में
मधुर तान में तुम भी गाओ
घर मेरा गुनगुनाओ गौरया
हरे भरे पेड़ हैं तुमको भाते
पतझड़ हैं तुमको रुलाते
फूलों को भी तुम करती प्यार
न्यौछावर करती अपना दुलार
मेरे घर का कोना अपनाओ
घर मेरा सजाओ गौरया। लेखक - सुमन सागर
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"Poem on Sparrow in Hindi"
आंगन उदास है
घौंसला वीरान है
पतझड़ का मौसम
पत्तों की झनझनाहट
बसंत की आहट
रंग -बिरंगे फूलों की मुस्कराहट
पर फिर भी गौरया का न आना
अखरता है विकास की अंधेरी
कंक्रीट निर्मित महल
आसमान को छूते मोबाइल टावर
निगल गए नन्ही गौरया को
नाश .. सर्वनाश
यह कैसा विकास ?
सुबह भी है उदास
और सांझ भी है निराश
इन्तजार है नन्ही गौरया का
आंगन में आ ...
अपनी चीं - चीं की
मधुर आवाज़ से जगा
जिससे उदास आंगन।
वीरान घौंसले में
फिर से बहार लौट आए। .. लेखक - वीरेंद्र शर्मा
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