Sunday, April 1, 2018

Poem on River in Hindi नदी पर कविता


Poem on River in Hindi


Poem on River in Hindi


हिमखंडों से पिघलकर,
पर्वतों में निकलकर ,
खेत खलिहानों को सींचती ,
कई शहरों से गुजरकर
अविरल बहती , आगे बढ़ती,
बस अपना गंतव्य तलाशती
मिल जाने मिट जाने,
खो देने को आतुर
वो एक नदी है।

बढ़ रही आबादी
विकसित होती विकास की आंधी
तोड़ पहाड़, पर्वतों को
ढूंढ रहे नई वादी,
गर्म होती निरंतर धरा,
पिघलते , सिकुड़ते हिमखंड
कह रहे मायूस हो,
शायद वो एक नदी है।

लुप्त होते पेड़ पौधे,
विलुप्त होती प्रजातियां,
खत्म होते संसाधन,
सूख रहीं वाटिकाएं
छोटे करते अपने आंगन,
गौरेया, पंछी सब गुम गए,
पेड़ों के पत्ते भी सूख गए
सूखी नदी का किनारा देख,
बच्चे पूछते नानी से,
क्या वो एक नदी थी।

(लेखक - आरती लोहनी)

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