Poem on Nature in Hindi
न बहता पानी
रचता रहता आगे
बढ़ते रहने की कहानी
समुंद्र
की उठती लहरें
प्रगति की हैं प्रतीक
की उठती लहरें
प्रगति की हैं प्रतीक
पर्वत
बुलंदियों को छूने
की देते हैं दावत
माँ
बन ढोहती रहती
सबका बोझ
बुलंदियों को छूने
की देते हैं दावत
माँ
बन ढोहती रहती
सबका बोझ
पेड़
देते फल और छाया
देते फल और छाया
फूल
सब के मन को भाए
सुगंध लौटाकर भी हर्षाए
प्यारे बच्चों सीखो
इनसे सीख
सब के मन को भाए
सुगंध लौटाकर भी हर्षाए
प्यारे बच्चों सीखो
इनसे सीख
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Poem on nature in Hindi -2
चिड़ियों से है उड़ना सीखातितलियों से है इठलाना
भंवरों की गुंजन से सीखा
राग मधुरतम गाना।
तेज़ लिया सूरज से हम ने
चांद से शीतल छाया
टिम टीम करते तारों की
हम समझ गए सब माया।
सागर ने सिखलाई हमको
गहरे रंग की धारा।
गगनचुम्बी पर्वत से सीखा
हों ऊँचा लक्ष्य हमारा।
समय की टिक टिक ने समझाया ,
सदा ही चलते रहना।
मुश्किल कितनी आन पड़े ,
कभी न धीरज खोना।
प्रकृति के कण कण में हैं
सुंदर संदेश समाया।
ईश्वर ने इसके द्वारा ज्यों ,
अपना रूप दिखाया।
लेखिका - पूनम
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