Poem on Mountain in Hindi पर्वत पर कविता
पहाड़ कितना ऊंचा, कितना विशाल, अडिंग
बर्फ से ढका हुआ
जंगलों से अटा हुआ
नदियों धरनों से सजा धजा
पशु पक्षियों का चहेता
घाटियों का विस्तार लिए हुए
अनगिनत, अनजाने रास्तों
और पगडंडियों का गबाह
फिर भी किसी तपस्वी सा
शांत, मौन, छेड़ता प्रकृति का गान
आश्रय देता हर
थके, हारे टूटे मन को
जिओ जीवन को आनंद मानकर (लेखक - हंसराज भारती)
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