Sunday, August 23, 2020

Poem on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर कविता

नफरतों का असर देखो
जानवरों का बंटवारा हो गया
गाय हिन्दू हो गयी
बकरा मुसलमान हो गया
मंदिरों में हिन्दू देखे
तो मस्जिदों में मुसलमान
शाम को जब मयखाने गया
तब जाकर दिखे इंसान
Nafraton Ka Asar Dekho
Janvaron ka Bantvara Ho Gaya
Gay Hindu Ho Gayi
Bakra Ho Gaya Muslman
Mandiron Mein Hindu dikhe
aur Masjidon Mein dikhe Muslman
Sham Ko Jab Maykhane Gaya
Tab Dikhe Insan
लेखक - हरिवंशराय बच्चन

Poem on Rashtriya Ekta - 2

देखता हूं जब भी कभी में इन खिलती हुई  बहारों को
याद आ जाते हैं वो सपने में स्वर्ग के सभी नज़ारे
 मेरा देश है बड़ा विशाल इसमें तो हैं सभी ही सितारे
हैं कहीं विशाल पर्वत तो कहीं हैं नदियां नालें
यहां वसतें हैं ऐसे जवान गाती है दुनिया जिनके गुणगान
है नहीं किसी की हिम्मत जो कर सकें उनका अपमान
यहां है भाषा अलग अलग और पहनावा है अलग अलग
फिर भी अपने देश के प्रति उठती है उनमें उमंग
कितना विशाल है मेरा देश यह देखकर होता है मुझे मान
मेरी सदा यही है कामना वसदा रहे मेरा देश भारत महान
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National Integration Poem - 3

राष्ट्रीय एकता है ऐसी भावना
जो लोगों में पैदा करती है सदभावना
हमारा भारत देश है राष्ट्रीय एकता की
जीती जागती मिशाल
मेरा भारत है धर्मों का देश
फिर भी पिरोया हुआ राष्ट्रीय एकता
के सूत्र में यह देश
मेरे देश भारत की शक्ति है
इसकी राष्ट्रीय एकता की पहचान
जब भी मेरे देश की एकता है टूटी
तभी वहां के लोगों की किस्मत है फूटी
अखंडता और शांति को बनाये रखना है जरूरी है
इसीलिए देश के लोगो में राष्ट्रीय एकता है बहुत जरूरी
आईये सभी मिलकर एकता के सूत्र में बंध जाएं
गीले सिक्वे भुलाकर एक दूसरे के गले लग जाएं
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