बरसेंगे जब बादल
खूब चलाऊंगा
कागज की नाव
भीग भीग जाऊंगा आंगन में
भीगे भीगे पंख पंछियों के
फड़ फड़ आएंगे आंगन में।
नन्ही सी गिलहरी भी
धूम मचाएगी आंगन में
रुठे रुठे से बादल भैया
जल्दी जल्दी मान जाओ
अपने हिस्से की दूध मलाई
तुमको ही खिलाऊंगी आंगन में
तुम बिना सब सूखा सूखा
नहीं खेलता कोई पत्ता आंगन में
आज किसान भैया भी
उदास उदास सी रहते हैं खेत में
-पुरुषोत्तम व्यास
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