चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन का जन्म 12 फरवरी 1809 को इंगलैंड के शोर्पशायर के श्रेव्स्बुरी में हुआ था। वह समृद्ध डॉक्टर रोबर्ट डार्विन की छ: संतानों में से पांचवें थे। उन्होंने अपने पिता की तरह मैडीकल की पढ़ाई शुरू की परंतु उन्हें बचपन से ही प्रकृति में, रुचि थी। समय के साथ प्रकति विज्ञान में उनकी रुचि बढ़ती । गई और धीरे-धीरे उन्होंने प्रकृति की जानकारी इकट्टा करनी शुरू की। बाद में उन्होंने पौधों के विभाजन की जानकारी प्राप्त करना भी शुरू किया। उनके 'क्रमिक विकास सिद्धांत' के आधार पर ही करना पड़ा था।
दरअसल यूरोप में यह वक्त पुनर्जागरण का था जब चर्च के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबा दिया जाता था। पहले तो डार्विन हिचकिचाए लेकिन अधिक समय तक खुद को रोक नहीं सके और इसे सही साबित करने में जुट गए।
प्रकृति के प्रति उनका प्रेम देखते हुए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनके एक शिक्षक ने उन्हें एम.एच.बीगल नामक एक समद्री जहाज पर यात्रा पर जाने का न्यौता दिया। इसी यात्रा ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। 1831 में मात्र 22 साल की उम्र में उन्हें कई महाद्वीपों का भ्रमण करने का मौका मिला। इस यात्रा के बारे में उन्होंने कहा, "बीगल द्वारा की गई समुद्री यात्रा मेरी जिंदगी की अहम घटना है।
उसने मेरे करियर को नया आयाम दिया।" 5 साल की यात्रा के दौरान डार्विन ने इंसान और पेड़-पौधों के जीवन को लेकर कई तरह की जानकारी और तथ्य एकत्रित किए। वह वापस लौटे तो अपने साथ लगभग 1500 प्रजातियों से जुड़ी जानकारियां साथ लेकर आए। एम. एच. बीगल रॉयल नेवी का 27 मीटर लम्बा जहाज था जिसने 5 साल में लगभग 4 महाद्वीपों का भ्रमण किया था। हालांकि, इस
भ्रमण से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा। यहां से शुरू हुई उनकी खराब हालत का असर उनकी जिंदगी के अंत तक रहा।
सफर में कई तरह के टापू पर रहकर कई तरह के वातावरण और वहां रहने वाले जीव जंतओं को ध्यान में रख डार्विन ने इंसान और अन्य जीवजंतुओं की उत्पत्ति के बारे में कई रोचक बातें सामने रखी।
अपने साथी जीव वैज्ञानिकों से सलाह कर अपने अनुभवों और प्रमाणों से वह 'थ्यूरी ऑफ इवोल्यूशन' यानी 'क्रमिक विकास के सिद्धांत' के करीब पहुंच रहे थे। वह जान चुके थे कि खुद को किसी वातावरण के अनुकूल ढाल लेना, खुद को ज्यादा समय तक जीवित रखने का एक तरीका है। इन सभी को ध्यान में रखते हुए डार्विन ने यात्रा के समय हुए अपने अनुभवों को एक किताब का रूप दे दिया।
अनेक वैज्ञानिकों ने जीवन चक्र को बताने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई लेकिन डार्विन ने सुचारू रूप से वैज्ञानिक तरीके से जीव विज्ञान में जीवन में समय के साथसाथ होने वाले बदलाव को बताया था। डार्विन एक अच्छे लेखक थे।
उन्होंने पौधों के विकास और विविधिकरण से संबंधित बहुत से कार्य किए और उनके बारे में विस्तार से लिखा। उन्होंने पौधों की ताकत और उनके विकास से संबंधित कई किताबें भी प्रकाशित करवाई।
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