Thursday, August 27, 2020

Pari Story in Hindi, Par wali kahani

Pari Story in Hindi - बहुत पहले की बात है, एक माली की तीन बेटियां थीं। सबसे छोटी का नाम था गुलाबो जो सचमुच गुलाब के फूल की तरह सुंदर और मधुर स्वभाव की थी। माली गरीब था। कभी-कभी तो उसके घर खाने को कुछ नहीं होता था। एक दिन माली की तीनों बेटियां भोजन कर रही थीं। इतने में एक भिखारिन उनके दरवाजे पर आ पहुंची।

बूढ़ी भिखारिन ने माली की बड़ी बेटी से कहा, "बेटी! मैं कई दिनों से भूखी हूं। अपने भोजन में से थोड़ा-सा भोजन मुझे भी दे दो।" __ बड़ी लड़की बड़ी कठोर तथा स्वार्थी थी। वह झुंझलाकर बोली, "भाग जा चुडैल! कुछ नहीं मिलेगा। नहीं जाएगी तो तेरी चोटी पकड़कर निकाल दूंगी।"

pari story in hindi

Pari wali kahani 

दूसरी लड़की बहुत अभिमानी थी। अपने सामने किसी को कुछ समझती नहीं थी। वह बोली, "खुद ही हम तीन दिन से भूखे हैं। हम तुझे कुछ नहीं दे सकते।"
बुढ़िया तीसरी लड़की गुलाबो की ओर मुड़ी और बोली, "कुछ मिलेगा बेटी।"

गुलाबो ने अपनी थाली बुढ़िया को दे दी और स्वयं पानी पीकर रह गई। बुढ़िया उसे ढेरों आशीर्वाद देते हुए जाते-जाते कहती गई, “ईश्वर तुम्हें इस नेकी का फल देगा बेटी। किसी दिन तुम रानी बनोगी।" बुढ़िया की बात सुनकर दोनों बड़ी बहनें खिल-खिलाकर हंस पड़ी, "यह बनेगी रानी। अरी बुढ़िया ! सठिया गई है क्या?

जा अपना काम देख।" कुछ ही दिनों बाद उस देश के राजकुमार ने मुनादी करवा दी कि सभी सुंदर लड़कियां एक सप्ताह के बाद उसके महल के आंगन में इकट्ठी हों। उनमें से जो लड़की उसे सबसे अच्छी लगेगी उसी के साथ वह विवाह करेगा। उस लड़की को खाना बनाने और चित्रकारी में भी निपुण होना चाहिए।

माली की तीनों लड़कियां सुंदर थीं पर उनके पास सुंदर पोशाकें नहीं थीं। बेचारी बड़ी दुखी थीं। करें क्या, तब बड़ी तो अपने लिए कहीं से एक सुंदर-सी पोशाक चुरा लाई। दूसरी ने किसी से उधार मांग ली। बेचारी सबसे छोटी बहन गुलाबो मन मारकर उदास होकर बैठ गई। कहां जाए वह मांगने? कौन देगा उसे?

बेचारी तालाब के किनारे बैठकर आंसू बहाने लगी। अब एक ही दिन तो रह गया है। शाम हो गई थी। सूरज डूब रहा था। तभी उसने देखा उसके पास में एक बत्तख पंख फैला रही है। उसने मुड़कर देखा तो एक नीले रंग की परी उसकी ओर मुस्करा कर देख रही थी। बत्तख उसकी गोद में आकर बैठ गई। परी ने उसके आंसू पोंछते हुए कहा, "रो क्यों रही है पगली। मैं जो हूं तेरे साथ।"

परी बोली, “मैं वही बुढ़िया हूं जिसे उस दिन तुमने रोटियां खिलाई थीं। मैंने तुम्हें रानी बनने का आशीर्वाद दिया था और यह बत्तख जादूगरनी है। हम दोनों तुम्हारी सहायता करेंगी। तुम घबराना नहीं परंतु हम तुम्हें जादू से गायब किए देती हैं।" __ "वह क्यों?" गुलाबो ने पूछा।

"डरो मत बिटिया। तुम्हारी बहनें तुमसे जलती-कुढ़ती हैं। वे तुम्हारी जान लेना चाहती हैं। हम जादू से तुम्हें छिपा देते हैं और तुम्हारी जैसी नकली गुलाबो को तालाब किनारे खड़ा कर देते हैं। देखो, क्या होता है।" परी बोली। _

 तब उसने जादू से गुलाबो की जैसी एक मूर्ति पैदा कर दी और असली गुलाबो को गायब कर दिया। थोड़ी ही देर में दोनों बहनों ने नकली गुलाबो को पकड़कर रस्सी से बांधा और तालाब के गहरे जल में धकेल
दिया। नकली गुलाबो पानी में समा गई।

संतुष्ट होकर बड़ी बहन ने कहा, “अब निश्चित हुए। बला टली, देखें अब कैसे बनेगी रानी? उसे हमने अपने रास्ते से हटा दिया। चलो चलें।"
घर पहुंचकर बड़ी बहन ने कहा, "मैं तेरे लिए मिठाई लाई थी। मैं तो खा चुकी, तू खा ले और शरबत पीकर सो जा।"

दूसरी बहन ने मिठाई खाई और शरबत पीकर सो गई। सुबह उठकर घरवालों ने देखा कि वह मरी पड़ी है। बड़ी बहन सोचने लगी, "गुलाबो तो गई तालाब में और यह जहरीली मिठाई खाकर मर गई। अब मैं ही रानी बनूंगी और राजकुमार से विवाह करके खूब आनंद करूंगी?"

दूसरे दिन जल्दी उठकर वह सज-धजकर बड़ी उमंग के साथ तैयार हुई। उसने शृंगार किया। दर्पण में अपना मुख देखा तो प्रसन्न हो गई। फिर वह समय से पहले ही राजा के महल के आंगन में पहुंच गई। वहां उसने सैंकड़ों एक से एक सुंदर लड़कियां देखीं जो बहुत सुंदर-सुंदर पोशाकें पहने हुई थीं। आभूषणों से उनकी शोभा बढ़ गई थी। उसकी आंखें चौंधियाने लगीं। सभी एक से बढ़कर एक सुंदर थीं। यह देख कर उसे निराशा ने घेर लिया।
ठीक समय पर राजकुमार आया।

एकएक करके सुंदर कन्याएं उसके सामने नाचने-गाने लगीं। माली की बड़ी लड़की ने भी गाया-बजाया और नाची पर किसी की नजर उसकी ओर न उठी। इतने में एक अत्यंत रूपवती कन्या बहुत ही सुंदर पोशाक पहने उसे दिखाई पड़ी जिसके सिर पर सोने का रत्नों से जड़ा हुआ मुकुट था। उसके मुख पर तेज था और आंखों में नई ज्योति थी। उसके जूड़े में गूंथे हुए फूलों से मादक सुगंध आ रही थी। राजकुमार भी बार-बार उसकी ओर ही देख रहा था।

उसने ऊंची एड़ी के सैंडल पहने हुए थे। उसकी शक्ल-सूरत उसकी छोटी बहन गुलाबो से बहुत मिलतीजुलती थी पर सुंदरता में वह उससे कहीं बढ़कर थी। उसकी गोद में एक बत्तख थी। बत्तख को लेकर उस कन्या ने नाचना-गाना शुरू किया। उसकी सुरीली-मीठी आवाज ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। सब मुग्ध हो गए मानो किसी जादू से बंध गए हों। सब उसी को देखने लगे।

उसकी सुंदरता ने सभी को अपने वश में कर लिया। राजकुमार ने कहा, “बस अब और किसी को नाचने-गाने की कोई जरूरत नहीं है।" इस लड़की के भाग्य की सराहना सब करने लगे। अब दूसरे दिन उसके खाना बनाने और चित्रकारी की परीक्षा होने वाली थी। राजकुमार ने अपने मित्रों के लिए भोजन तथा उनके चित्र बनाने का कार्य उस लड़की को सौंपा।

तब नीलम परी चुपके से उस लड़की के पास पहुंची और बोली, “घबराना नहीं बेटी, मैं तुम्हारा साथ दूंगी।"
जब गुलाबो चित्र बनाने बैठी तो उसे लगा जैसे वह नहीं, नीलम परी ही उसकी जगह चित्र बना रही हो। राजकुमार के मित्रों के अत्यंत सुंदर चित्र उसने घंटे भर में ही तैयार कर दिए। उसके हाथ बड़ी तेजी से चल रहे थे। अपने में वह कुछ नयापन पा रही थी। राजकुमार उसकी चित्रकारी की कुशलता से बहुत प्रभावित हुआ। उसके मित्रों ने उन चित्रों की बहुत तारीफ की। वे सब अपने-अपने यहां के बहुत मशह

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