Sunday, August 23, 2020

Khudiram Bose essay in Hindi महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस का जीवन परिचय

भारत का इतिहास महान शूरवीरों और उनके सेंकडों साहसिक कारनामों से भरा पड़ा है इन महान क्रांतिकारियों में खुदीराम बोस का नाम भी बड़े गर्व से लिया जाता है। हम आपको बता दें के खुदीराम बोस भारत के एक युवा क्रांतिकारी थे जिनके बलिदान ने पूरे सम्पूर्ण भारत में क्रांति की लहर पैदा कर दी थी आइये जानते हैं इनसे जुड़ीं कुछ और भी दिलचस्प जानकारियां

Khudiram Bose essay in Hindi

  1. खुदीराम बोस मात्र 19 वर्ष की उम्र फांसी के फंदे पर झूल गए थे।
  2. खुदीराम बोस (Khudiram Bose) का जन्म 3 दिसम्बर 1889 ई : को बंगाल में मिदनापुर जिले के हबीवपुर गांव में हुआ था।
  3. उनके पिता जी का नाम त्रिलोक नाथ बोस और माता का नाम लक्ष्मीप्रिय देवी था।
  4. आपकी बालक अवस्था में ही आपके माता -पिता का देहांत हो गया था जिस कारण आपका पालन -पोषण आपकी बड़ी बहन ने किया था।
  5. खुदीराम बोस (Khudiram Bose) के प्रति देशभक्ति की भावना मानो इतनी थी के आपने स्कूल के दिनों में ही राजनितिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था।
  6. आपके मन में देश के प्रति इतना प्यार था के जब आप 9 वीं कक्षा में थे तभी आपने स्कूल छोड़ दिया और आज़ादी की जंग में कूद पड़े।
  7. सत्येन बोस की अगवाई में आपने अपना संघर्ष शुरू किया।
  8. 28 फ़रवरी सन 1906 वाले दिन सोनार बंगला नामक एक अखबार बेचते हुए पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। उस समय आप भागने में कामयाब रहे परन्तु कुछ महीनों के बाद पुलिस ने आपको गिरफ़्तार कर लिया परन्तु उस समय उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
  9. ब्रिटिश सारकारी अफ़सरों को मारने के लिए आपने सन 1907 को बंगाल के नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बम का एक बड़ा विस्फोट कर दिया।
  10. कलकत्ता में उन दिनों किंग्स्फोर्ड चीफ मजिस्ट्रेट था वह भारतीय लोगों के साथ बहुत ही सख्ती से पेश आता था और उनके साथ अत्याचार करता था। अंग्रेज अधिकारियों ने प्रसन्न होकर किंग्स्फोर्ड चीफ को मुज़ाफरपुर में न्यायधीश बना दिया।
  11. क्रांतिकारियों ने इस क्रूर अंग्रेज अधिकारी को मारने की योजना बनाई इस कार्य के लिए खुदीराम बोस और चाकी को चुना गया। एक दिन दोनों मुजफरपुर पहुंच गए वह वहां पर एक धर्मशाला में लगभग 8 दिनों तक रहे और उन्होंने किंग्स्फोर्ड चीफ पर पूरी नज़र रखी।
  12. 30 अप्रैल 1908 की शाम को किंग्स्फोर्ड चीफ और परिवार के साथ अपनी लाल बघी में बैठकर एक क्लब पहुंचे। करीब आधी रात के समय मेसेज और उनकी बेटी क्लब से बघी में बैठकर घर आ रहे थे और उनकी बघी का रंग भी लाल ही था और इन दोनों क्रांतिकारियों ने इस बघी को किंग्स्फोर्ड चीफ की बघी समझकर इस बघी पर ही बम फेंक दिया। इस घटना में दोनों की मौत हो गयी। बाद में जब खुदीराम बोस और उसके क्रांतिकारी साथी को इस घटना का पता चला तो उन्हें बहुत ज्यादा अफ़सोस हुआ।
  13. इसके बाद ब्रिटिश सेना को जगह -जगह पर इन दोनों को पकड़ने के लिए लगा दिया गया। इसके साथ ही ब्रिटिश अधिकारीयों ने इन दोनों क्रांतिकारियों की सूचना देने वाले को बड़ा इनाम घोषित कर दिया।
  14. अंत दोनों क्रातिकारियों को एक रेलवे स्टेशन पर घेर लिया गया प्रफुल्ल चाँद के मन में अंग्रेज अधिकारियों के प्रति इतनी नफ़रत थी के वो अंग्रेजों के हाथ नहीं आना चाहते थे इसीलिए उसने खुद को गोली मारकर शहादत दे दी और खुदीराम बोस को पकड़ लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया।
  15. इस मुकदमे में खुदीराम बोस ने अपने व्यान में यह स्वीकार कर लिया के उन्होंने किंग्स्फोर्ड चीफ को मारने की योजना बनाई थी।
  16. अंत 13 जून 1908 ई : को उन्हें पांच दिन के मुकदमे में फांसी की सजा सुना दी गयी।
  17. 11 अगस्त 1908 को इस महान क्रांतिकारी फांसी के तख्ते पर ख़ुशी -ख़ुशी शहीद हो गया।
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