Poem on Grandmother in Hindi - Dadi Maa par kavita
मेरी दादी थीकितनी प्यारी
में थी उनकी
राज दुलारी
घर में कितनी रौनक थी
न जाने कहां गुम हो गयी सारी
बस दादी -दादी कहते रहते
हम बच्चे अब
उसकी आवाज़ सुनने
को तरसते रहते हैं
हर पल आखरी
सांस तक लुटाती रहती
हम सब पर प्यार
पर छोड़ गयी वह अकेला
टूट गया खुशियों का मेला
याद है उस दिन बहुत रोये थे
हम सब उठ न दादी
रट लगा रहे थे
सब घर पर दादी -दादी करते
बीत गयी वह सुबह
दादी हमसे दूर हो गयी
उसकी बातें हैं साथ
लेखक - रिचा भारती
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