Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi - पर्यावरण का अर्थ है पेड़ पौधों की रक्षा करना क्योंकि वह मानव जीवन का आधार हैं इनके बिना मनुष्य का जीवन संकट में पड़ जाएगा किन्तु आज मानव इनके महत्व को न समझते हुए इनकी उपेक्षा कर रहा है मानव अपनी कुछ जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार पेड़ों की कटाई कर रहा है जितने पेड़ कटते हैं उससे कहीं कम पेड़ लगाए जाते हैं जिसके फ़लसरूप कई समस्याएं उत्पन्न हो रहीं हैं।
हमारे पर्यावरण को जिस तरह से प्रदूषण से नुकसान पहुंच रहा है इसे देखते हुए तो यही अनुमान लगाया जा सकता है के आने वाले कुछ वर्षों में हम स्वच्छ पानी , भूमि आदि खो देंगे। किन्तु कहते हैं न किसी भी मुश्किल का हल ढूंढा जा सकता है बस जरूरत है के इसके समाधान के लिए ढूंढें गए उपाय कारगर होने चाहिए। आज प्रदूषण की समस्या इस कदर बढती जा रही है के इसे रोकना अब हर एक की जिम्मेदारी बन गयी है।
बढ़ते हुए प्रदूषण से हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे जरूरी है पर्यावरण की शिक्षा , इसके द्वारा पर्यावरण के प्रति लोगों में प्रेम प्यार एव सदभावना को उत्पन्न किया जा सकता है। हमें हमारे पर्यावरण को फिर से हरा भरा बनाने के लिए अधिक से अधिक नए पेड़ पौधे लगाने होंगे। प्रकृति के संसाधन सीमित हैं इसीलिए इनका दुरूपयोग करना बंद करना होगा।
जब तक हम दूसरों पर निर्भर हैं तो यह असंभव है हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपने घरों से शुरुयात करनी होगी जब तक हम खुद से इस कार्य में नहीं लगते तब तक यह बेकार है। जैसे कचरे की मात्रा को कम करना और उसका निपटारा करना , प्लास्टिक के लिफाफों पर रोक लगानी , पुराणी वस्तुयों को द्वारा पुन: प्रयोग में लाना। दूषित हुए जल को द्वारा फ़िल्टर का उसे इस्तेमाल योग्य बनाना और जल की बर्बादी को रोकना ,बिजली का कम से कम प्रयोग करना , उर्जा का संरक्षण करना इत्यादि।
हमें पर्यावरण दिवस पर बढ़कर हिस्सा लेना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके प्रति प्रेरित कर उन्हें पर्यावरण के महत्व के बारे में बताना चाहिए।
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बढ़ते हुए प्रदूषण से हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे जरूरी है पर्यावरण की शिक्षा , इसके द्वारा पर्यावरण के प्रति लोगों में प्रेम प्यार एव सदभावना को उत्पन्न किया जा सकता है। हमें हमारे पर्यावरण को फिर से हरा भरा बनाने के लिए अधिक से अधिक नए पेड़ पौधे लगाने होंगे। प्रकृति के संसाधन सीमित हैं इसीलिए इनका दुरूपयोग करना बंद करना होगा।
जब तक हम दूसरों पर निर्भर हैं तो यह असंभव है हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपने घरों से शुरुयात करनी होगी जब तक हम खुद से इस कार्य में नहीं लगते तब तक यह बेकार है। जैसे कचरे की मात्रा को कम करना और उसका निपटारा करना , प्लास्टिक के लिफाफों पर रोक लगानी , पुराणी वस्तुयों को द्वारा पुन: प्रयोग में लाना। दूषित हुए जल को द्वारा फ़िल्टर का उसे इस्तेमाल योग्य बनाना और जल की बर्बादी को रोकना ,बिजली का कम से कम प्रयोग करना , उर्जा का संरक्षण करना इत्यादि।
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