Short Poem on Monkey in Hindi बन्दर पर कविता
सूर्य चाचू बड़े दयालु
आगे पीछे उनके भालू
नटखट बंदर बनकर चालू
समझा था सूरज को आलू
सोचा उछल कूद कर खा लूं
तभी झट से आ गया भालू
जोरों से पूछा बंदर चालू
क्यों तुम्हें खाना है आलू
बोला फट से बंदर चालू
पैरों में कितने हैं तालु
लगा सोचने बंदर चालू
कठिन प्रशन है अंकल भालू
पहले खा लेने दो आलू
खाओ मत बंदर भाई चालू
वरना नहीं गिनो गे तालु
गुस्से में बंदर जी चालू
दुविधा खड़ी कर दी भालू
क्या दिक्कत है अंकल भालू
जिसे समझ रहे हो आलू
आसमान के सूरज दयालु
सोच भाई तब खाओ आलू
जलकर हो जाओगे कालू
सिर खोजलाये बंदर चालू
मुनटुन राज
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