Rakhi poem in Hindi for brother and sister
राखी का त्योहार
राखियों से गुलजार बजार
आ गया राखी का त्योहार
मिठाई सजी दुकानों में
शोरगुल गूंजे कानों में
रेशमी धागों की भरमार
कहीं पर बेसन की बर्फी
कहीं पर काजू की कतली
कहीं पर रसगुल्ले झक -झक
कहीं पर लड्डू हुए शुमार
आ गया राखी का त्योहार
कमलिया राखी लायी है
थाल में रखी मिठाई है
साथ में कुमकुम नारियल है
ख़ुशी का पावन हर पल है
बहन ने रेशम का धागा
भाई की कलाई पर बांधा
भाई की आंखों में श्रद्धा
बहन की आंखों में प्यार
आ गया राखी का त्योहार
बहन -भाई का पावन पर्व
रहा सदियों से इस पर गर्व
जरा सा रेशम का धागा
बनाता फौलादी नाता
बहन की रक्षा करना धर्म
भाईनो ने समझा यह मर्म
बहुत स्नेहिल पर्व है
भाई -बहनों का यह संसार
आ गया राखी का त्योहार।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Rakhi par Kavita - 2
धागा नहीं यह तो प्यारा का नाता है
तोहफे के लिए भी तो हम रोते हैं
फिर जाके मिठाई भी खिलाते हैं
नजर उतारते हैं हम यूं हीं
आरती की ताली से देख
प्यार के धागे होते हैं कोमल
हैं ये रिश्ते बचपन से
भैया मानो तो मेरी बात
मां -पापा का न छोडो साथ।
- आरती कुमारी
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राखी पर कविता - भाई बहन का त्योहार रक्षा बंधन (Kavita) -3
ला दो न राखी
मां ला दो न राखी
भईया नहीं तो क्या हुआ
दिदिया को बांधुंगी राखी
मां देखो न बाज़ार में
कितनी रंग -बिरंगी राखियां
खरीद रही है मेरी सहेलियां
मां अब तो छोडो न जिद्द
क्यों करती हो मनमानी
आंखें भर -भर आती है
देख तुम्हारी आना -कानी
मां दिदिया को भाई समझ
बांधुंगी कलाईयों में राखी
यह रिश्ता बना रहे हमेशा
न रह जाए प्यार बाकी
मां मेरी नादानी को
तुम बखूबी से समझती हो
एक बार हां बोल दो न
अब तो जिद्द तोड़ दो न
मां राखी ला दो न
अब तो कुछ बोलो न
लेखक - मुनटून राज
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